Nitin Kamath की चेतावनी
शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव को लेकर Zerodha के CEO नितिन कामत ने निवेशकों को सावधान रहने की सलाह दी है।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन, भारत सहित 75 देशों पर प्रतिस्पर्धी शुल्क (Reciprocal Tariffs) लागू कर दिए हैं, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था अस्थिर हो गई है।
इस फैसले के बाद से दुनिया के अधिकांश शेयर बाजारों में गिरावट देखी जा रही है और भारतीय बाजार भी इससे अछूता नहीं है। लगातार बाजार लाल निशान में खुल रहा है, जिससे निवेशकों में चिंता का माहौल बना हुआ है।
निवेशकों के लिए खतरे की घंटी
नितिन कामत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए बताया कि इस तरह की गिरावट रिटेल निवेशकों के मनोबल को तोड़ सकती है।
उनका मानना है कि अगर हालात नहीं संभले, तो कई निवेशक लंबे समय तक शेयर बाजार से दूरी बना सकते हैं, जैसा कि 2008 के वित्तीय संकट के दौरान हुआ था।
क्या 2008 जैसी मंदी फिर लौटेगी?
कामत ने 2008 से 2014 के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि उस समय इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में निवेश में भारी गिरावट आई थी।
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस बार की गिरावट में भी रिटेल निवेशक अपने भरोसे को बनाए रख पाएंगे?
उनका यह भी कहना है कि 2008 में लेमन ब्रदर्स के दिवालिया होने से जो वैश्विक मंदी फैली थी, उसका असर निवेशकों की मानसिकता पर सालों तक रहा।
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध का बढ़ता दबाव
इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिका और चीन के बीच चल रहा व्यापार युद्ध है।
टैरिफ की लड़ाई अब गंभीर रूप ले चुकी है:
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अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 104% कर दिया (पहले 54% था)।
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चीन ने प्रतिक्रिया में अमेरिकी सामान पर 34% शुल्क लगा दिया।
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ट्रंप ने इसके बाद अतिरिक्त 50% शुल्क जोड़ा।
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जवाब में चीन ने 84% और टैक्स बढ़ा दिए।
भारत पर सीधा असर
इस वैश्विक तनाव का असर भारतीय बाजार और मुद्रा पर भी पड़ा है।
भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 50 पैसे गिरकर ₹86.26 पर आ गया, जो बीते तीन महीनों में सबसे बड़ी गिरावट है।
हालांकि राहत की बात यह है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 9 अप्रैल को रेपो रेट में 0.25% की कटौती की है। इससे उम्मीद की जा रही है कि घरेलू मांग में तेजी आएगी और बाजार को थोड़ा स्थिरता मिल सकती है।
निष्कर्ष
अगर आप एक निवेशक हैं, तो इस समय सतर्क रहना जरूरी है। बाजार में आई गिरावट अल्पकालिक हो सकती है, लेकिन इसके मनोवैज्ञानिक प्रभाव लंबे समय तक रह सकते हैं।
नितिन कामत जैसे अनुभवी प्रोफेशनल्स की चेतावनी को नजरअंदाज करना नुकसानदेह हो सकता है।