सीमा से लगे राज्यों में कॉरपोरेट रिस्क बढ़ा

सीमा से लगे राज्यों में कॉरपोरेट रिस्क बढ़ा

सीमा से लगे राज्यों में कॉरपोरेट रिस्क बढ़ा

शेयर बाजार में गिरावट का माहौल

शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई। इसका मुख्य कारण भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव रहा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि सीमा पर बढ़ रही अस्थिरता के कारण निवेशकों में चिंता बढ़ी है और बाजार में बिकवाली का दबाव देखने को मिल रहा है।

सीमा से लगे राज्यों में कॉरपोरेट रिस्क बढ़ा

सीमा से सटे राज्यों में बढ़ा कॉरपोरेट रिस्क

ब्रोकरेज फर्म CLSA ने एक विश्लेषण रिपोर्ट में बताया है कि अदानी पोर्ट्स, रिलायंस इंडस्ट्रीज, और NHPC जैसी बड़ी कंपनियों के कुछ प्रोजेक्ट्स ऐसे संवेदनशील इलाकों में हैं जो पाकिस्तान की सीमा के नजदीक स्थित हैं। इस कारण से इन पर स्ट्रैटेजिक रिस्क काफी बढ़ गया है।

CLSA ने पंजाब, राजस्थान, गुजरात और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों को चिन्हित किया है जहां औद्योगिक और बुनियादी ढांचा संबंधी गतिविधियां जोरों पर हैं। लेकिन इन राज्यों की भौगोलिक स्थिति के कारण उनका कॉरपोरेट जोखिम अन्य राज्यों की तुलना में अधिक हो गया है।

पाकिस्तान की नाकाम हमलों और ड्रोन एक्टिविटी से तनाव

पाकिस्तान की ओर से ड्रोन के जरिए हमलों की कोशिश लगातार की जा रही है, हालांकि भारतीय सेना उन्हें नाकाम करने में सफल रही है। फिर भी इस तरह की घटनाएं सीमा से लगे क्षेत्रों में व्यवसायिक संचालन के लिए खतरा बनी हुई हैं।

प्रमुख कंपनियों पर सीधा असर

सीमा से लगे राज्यों में कॉरपोरेट रिस्क बढ़ा

CLSA की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि

  • Adani Ports गुजरात के मुंद्रा पोर्ट और खावड़ा की नई ऊर्जा साइट का संचालन करती है।

  • Reliance Industries की 68 मिलियन टन प्रतिवर्ष की रिफाइनरी भी गुजरात में स्थित है।

  • NHPC Limited की हाइड्रो पावर उत्पादन क्षमता का लगभग 36% जम्मू-कश्मीर से आता है।

  • Power Grid Corporation राजस्थान में भुज पुल और कई महत्वपूर्ण सब-स्टेशनों का संचालन करता है।

  • Shree Cement और Tata Chemicals जैसे उद्योग भी राजस्थान में कार्यरत हैं।

निष्कर्ष कंपनियों में भी बढ़ रही है चिंता

भारत-पाक तनाव और सीमा क्षेत्र में ड्रोन गतिविधियों की बढ़ती संख्या से न सिर्फ बाजार प्रभावित हो रहा है, बल्कि उन कंपनियों के लिए भी जोखिम बढ़ गया है जिनकी परिसंपत्तियां इन संवेदनशील इलाकों में मौजूद हैं। यह स्थिति आगे चलकर कंपनियों के निर्णयों और निवेश योजनाओं को भी प्रभावित कर सकती है।

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