HDFC Bank

HDFC Bank CEO पर FIR Lilavati Trust विवाद क्या है?

HDFC Bank और Lilavati Trust विवाद

मुंबई: देश के अग्रणी निजी बैंकों में से एक HDFC Bank और प्रतिष्ठित Lilavati Kirtilal Mehta Medical Trust (Lilavati Trust) के बीच विवाद अब गंभीर कानूनी मोड़ ले चुका है। Mehta Family ने HDFC Bank के MD और CEO सशिधर जगदीशन (Sashidhar Jagdishan) के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं के आरोप में FIR दर्ज करवाई है।

 क्या है पूरा मामला?

Lilavati Trust के ट्रस्टी और Mehta Family ने आरोप लगाया है कि HDFC Bank के CEO और 8 अन्य व्यक्तियों ने ट्रस्ट से जुड़े आर्थिक लेन-देन में धोखाधड़ी और फंड के दुरुपयोग की साजिश रची। ट्रस्ट का दावा है कि इनमें कुछ पूर्व बैंक कर्मचारी भी शामिल हैं।

ट्रस्ट की मांग

  • CEO को तत्काल निलंबित किया जाए

  • आपराधिक कार्रवाई की जाए

  • ट्रस्ट फंड की सही जांच कराई जाए

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HDFC Bank की सफाई आरोप झूठे और दुर्भावनापूर्ण

रविवार को BSE को भेजे गए आधिकारिक बयान में HDFC Bank ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। बैंक का कहना है कि:

“यह मामला वर्ष 1995 में Splendour Gems Ltd. को दिए गए defaulted loan से जुड़ा है, जिसमें Mehta परिवार की हिस्सेदारी थी। यह कंपनी 2001 से डिफॉल्टर है और DRT ने 2004 में recovery certificate जारी कर दिया था।”

बैंक ने Mehta Family की मौजूदा कानूनी कार्रवाई को “कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग और व्यक्तिगत बदले की कार्रवाई” बताया है।

 बैंक का पलटवार CEO को निशाना बनाकर वसूली से बचने की कोशिश

बैंक ने स्पष्ट किया कि Mehta Family पहले ही सभी लीगल रेमेडीज का उपयोग कर चुकी है, और अब CEO के खिलाफ व्यक्तिगत हमला कर रही है ताकि recovery process को बाधित किया जा सके।

“हम public money की सुरक्षा और वसूली के लिए हर कानूनी उपाय अपनाएंगे और अपने कर्मचारियों की प्रतिष्ठा की रक्षा करेंगे।”

 HDFC Bank के शेयर पर बाजार की नजर

HDFC Bank

  • शुक्रवार (6 जून 2025) को शेयर 1.42% चढ़कर ₹1,978.70 पर बंद हुआ।

  • पिछले 1 महीने में 2.57% की तेजी

  • वर्ष 2025 में अब तक 10.95% का रिटर्न

  • कंपनी का Market Cap: ₹15.16 लाख करोड़

नोट सोमवार 9 जून को बाजार इस विवाद पर कैसी प्रतिक्रिया देता है, यह देखना अहम होगा।

 निष्कर्ष

इस विवाद ने न सिर्फ HDFC Bank की छवि और लीगल चुनौतियों को उजागर किया है, बल्कि यह भी साफ किया है कि बड़े वित्तीय संस्थानों को पारदर्शिता और जवाबदेही के नए पैमानों पर खरा उतरना होगा। आने वाले दिनों में जांच और कानूनी प्रक्रिया इस केस की दिशा तय करेंगे, जबकि निवेशकों की नजर शेयर पर होने वाले उतार-चढ़ाव पर रहेगी।

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