Dark Patterns से यूजर्स को हो रहा नुकसान
Zerodha के फाउंडर और CEO Nithin Kamath ने एक अहम मुद्दे को उठाया है, जो तेजी से डिजिटल होती फाइनेंशियल दुनिया के लिए चेतावनी की घंटी बन सकता है। Kamath ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में Twitter) पर एक पोस्ट में Dark Patterns को लेकर गंभीर सवाल उठाए।
उन्होंने दावा किया कि कई financial apps जानबूझकर ऐसे डिज़ाइन और ट्रिक्स अपना रही हैं, जो यूजर को ऐसे फैसले लेने पर मजबूर करती हैं जो उनके खिलाफ होते हैं — लेकिन कंपनियों के लिए फायदेमंद।
क्या होते हैं Dark Patterns?
Dark Patterns एक प्रकार की manipulative UX (User Experience) design technique है, जिसे इस तरह से तैयार किया जाता है कि यूजर जाने-अनजाने में वह कार्य करे, जो प्लेटफॉर्म चाहता है — भले ही वो यूजर के हित में न हो।
उदाहरण
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Subscription Trap
पहले मुफ्त दिखाया जाता है, लेकिन बाद में auto-renewal चालू हो जाता है, जिसे कैंसिल करना मुश्किल बना दिया जाता है। -
Hidden Charges
पेमेंट के अंतिम स्टेप पर अचानक टैक्स या चार्ज जोड़ देना, बिना साफ जानकारी दिए। -
Auto-Renewal
बिना रिमाइंडर के सेवाओं को फिर से चालू करना और सीधे बैंक अकाउंट से राशि काट लेना।
फाइनेंशियल ऐप्स में क्यों बढ़ा है इसका चलन?
Kamath के अनुसार, financial services में पहले से ही interest conflict का खतरा बना रहता है — लेकिन जब डिज़ाइन ही यूजर को भ्रमित करने लगे, तो बात और गंभीर हो जाती है।
उनका कहना है
“फाइनेंशियल ऐप्स में transparency का अभाव और लाभ के लिए तैयार किए गए डिज़ाइन यूजर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।”
यूजर्स को क्यों रहना चाहिए सतर्क?
जैसे-जैसे निवेश, क्रेडिट कार्ड, बीमा, और mutual funds के ऐप्स का उपयोग बढ़ रहा है — वैसे-वैसे यूजर्स को जागरूक होना भी उतना ही जरूरी है।
सतर्क रहने के कुछ आसान टिप्स
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हमेशा Terms & Conditions पढ़ें
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Auto-renewal फीचर्स को बंद रखें
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Notifications और Payment History पर नजर रखें
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असामान्य User Interface या confusion से बचें
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कोई भी निर्णय जल्दबाज़ी में न लें
निष्कर्ष क्या कंपनियों को ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए?
Nithin Kamath ने इस बयान से Fintech कंपनियों को एक आईना दिखाया है।
आज जब भारत में करोड़ों लोग digital finance का रुख कर रहे हैं, तब यूजर्स की सुरक्षा और भरोसा बनाए रखना कंपनियों की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है।
यूजर को गुमराह करने की बजाय सशक्त बनाना ज़रूरी है — तभी बनेगा एक पारदर्शी फिनटेक इकोसिस्टम।