DIIs की तगड़ी खरीदारी ₹3 लाख करोड़
2025 के पहले छह महीने भारतीय शेयर बाजार के लिए ऐतिहासिक साबित हो रहे हैं। लगातार वैश्विक अनिश्चितता और घरेलू बिकवाली के बावजूद, भारतीय बाजार में Domestic Institutional Investors (DIIs) का भरोसा बरकरार है। Mutual Funds, Insurance Companies, Pension Funds और अन्य संस्थागत निवेशकों ने इस साल अब तक ₹3 लाख करोड़ से ज्यादा के शेयर खरीदे हैं — जो कि 2007 के बाद का दूसरा सबसे बड़ा सालाना निवेश बन गया है। केवल 2024 में इससे अधिक निवेश दर्ज किया गया था।
छह महीने में रिकॉर्ड निवेश — साल की दूसरी छमाही से भी हैं उम्मीदें
2025 की पहली छमाही को भारत की स्टॉक मार्केट हिस्ट्री में अब तक की सबसे मज़बूत माना जा रहा है। Mutual Funds के जरिए हो रही सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) इनफ्लो ₹25,000 करोड़ प्रतिमाह से ऊपर जा चुकी है, जो रिटेल इन्वेस्टर्स की सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है।
2024 में DIIs ने ₹5.23 लाख करोड़ का निवेश किया था, जो अब तक का रिकॉर्ड रहा।
तुलना करें तो
2023 में निवेश ₹1.82 लाख करोड़
2022 में निवेश ₹2.76 लाख करोड़
2025 में किसने कितना निवेश किया?
Mutual Funds
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कुल नेट खरीदारी ₹1.98 लाख करोड़
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SIP Inflow ₹25,000 करोड़ से ऊपर (प्रति माह)
Insurance Companies
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खरीदार ₹42,220 करोड़
Pension Funds
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निवेश ₹17,543 करोड़
Banks
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नेट बिकवाली ₹9,450 करोड़
मार्च-अप्रैल में निवेश की गति थोड़ी धीमी रही, लेकिन मई 2025 में ₹66,000 करोड़ और जून में अब तक ₹29,000 करोड़ की भारी खरीदारी देखने को मिली है।
एक्सपर्ट्स क्या कह रहे हैं?
Ajay Garg (CEO, SMC Global Securities):
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RBI द्वारा रेपो रेट में 0.50% की संभावित कटौती और CRR में राहत से मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ेगी।
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इससे कंजंप्शन और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को सपोर्ट मिलेगा।
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US-India ट्रेड डील से सकारात्मक सेंटीमेंट और मजबूत हो सकता है।
Nikunj Saraf (VP, Choice Wealth):
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SIP इनफ्लो में निरंतर तेजी
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RBI की Dovish Policy और महंगाई में कमी
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कंपनियों के मजबूत तिमाही नतीजे — इन सभी ने DIIs को सपोर्ट किया
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Global Stability और US Fed की नरम नीति से भारत को और मजबूती मिल सकती है
सावधान Valuation अभी भी ऊँचा है — Mehta Equities की चेतावनी
Prashanth Tapse (Mehta Equities)
“बाजार की मौजूदा मजबूती लिक्विडिटी और Micro Fundamentals की वजह से है, लेकिन Trailing P/E के अनुसार वैल्यूएशन अब भी ऊंचे हैं।”
यदि
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कंपनियों के Quarterly Results कमजोर आते हैं
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US Fed Policy में सख्ती आती है
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या Geopolitical Tensions बढ़ते हैं
तो बाजार में फिर से गिरावट या कंसोलिडेशन फेज देखने को मिल सकता है।
निष्कर्ष
2025 की पहली छमाही में Domestic Investors ने फिर से भारतीय बाजार पर भरोसा जताया है। Mutual Funds और SIP जैसी दीर्घकालिक रणनीतियों के साथ भारत के Equity Market में स्थायित्व की उम्मीद बनी हुई है।