क्या ट्रंप जानबूझकर शेयर बाजार गिरा रहे हैं?
हाल ही में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक आर्थिक थ्योरी चर्चाओं में है। उनके समर्थकों का दावा है कि ट्रंप की कुछ आर्थिक नीतियां और बयान जानबूझकर शेयर बाजार को प्रभावित कर रहे हैं, ताकि आम लोगों के लिए अमीर बनने का रास्ता खुल सके। यह विचार पहली बार तब सामने आया जब ट्रंप ने “रिसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी” लागू की, जिसके बाद वैश्विक स्तर पर इक्विटी मार्केट में तेज गिरावट देखने को मिली।
इस गिरावट के साथ ही अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ गई है। लेकिन ट्रंप समर्थकों का तर्क कुछ और है। उनका कहना है कि यह सब एक रणनीतिक योजना का हिस्सा है, जिससे अंततः आम नागरिकों को फायदा हो सकता है।
ट्रंप का बयान “ऊंची ब्याज दरें अमीरी की राह में रुकावट हैं”
एक इंटरव्यू में ट्रंप ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जब ब्याज दरें अधिक होती हैं, तो आम लोग अमीर नहीं बन सकते क्योंकि महंगे कर्ज के कारण लोग निवेश या व्यापार शुरू करने में असमर्थ होते हैं। अमेरिका में इस समय कर्ज का अनुपात सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले करीब 120% पहुंच चुका है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे ऊंचा स्तर है। फेडरल गवर्नमेंट सिर्फ ब्याज भुगतान में पिछले वर्ष एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक खर्च कर चुकी है।
समर्थकों का दावा यह एक रणनीति है
ट्रंप के समर्थकों का मानना है कि वे एक योजनाबद्ध आर्थिक संकट उत्पन्न कर रहे हैं, जिससे शेयर बाजार में गिरावट आएगी और फिर फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करेगा। जब ब्याज दरें घटेंगी, तब सस्ते कर्ज की उपलब्धता आम लोगों के लिए एक अवसर बन जाएगी – जिससे वे व्यवसाय शुरू कर सकेंगे, संपत्ति खरीद सकेंगे और आर्थिक रूप से ऊपर उठ सकेंगे।
ट्रेजरी बांड और रिफाइनेंसिंग की बड़ी प्लानिंग
एक और महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि अमेरिकी सरकार को आने वाले 6 महीनों में करीब 7 ट्रिलियन डॉलर के कर्ज को रिफाइनेंस करना है। ट्रंप समर्थकों का मानना है कि इसके लिए जरूरी है कि बॉन्ड यील्ड कम हो, और वह तभी संभव है जब इक्विटी मार्केट में गिरावट आए।
क्या यह आम लोगों को अमीर बनाने का रास्ता है?
कुछ समर्थकों का यह भी कहना है कि ट्रंप जानबूझकर शेयर बाजार गिरा रहे हैं ताकि आम निवेशक कम कीमत पर अच्छी कंपनियों के शेयर खरीद सकें और भविष्य में मुनाफा कमाकर आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें।
निष्कर्ष
ट्रंप की रणनीति को लेकर अलग-अलग विचार सामने आ रहे हैं। जहां एक ओर आलोचक इसे एक खतरनाक दांव मानते हैं, वहीं समर्थकों को विश्वास है कि यह एक दीर्घकालिक योजना है, जिसका उद्देश्य आम नागरिकों को अमीर बनाना है।
अब सवाल उठता है – क्या यह सचमुच आम जनता की भलाई के लिए है, या सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट? इसका उत्तर समय ही देगा।