ETF क्या है?
भारतीय शेयर बाजार में निवेश करने के लिए सिर्फ स्टॉक्स ही नहीं, बल्कि कई प्रकार के इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट उपलब्ध हैं – जैसे:
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इक्विटी निवेश
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म्यूचुअल फंड
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SIP (Systematic Investment Plan)
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डेट फंड्स
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और ETF (Exchange Traded Fund)
आज हम बात कर रहे हैं ETF यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की, जो कि पैसिव इनकम का एक उभरता हुआ साधन बनता जा रहा है।
ETF क्या होता है?
ETF एक ऐसा इन्वेस्टमेंट टूल है जो एक म्यूचुअल फंड की तरह होता है लेकिन इसे स्टॉक एक्सचेंज पर खरीदा और बेचा जा सकता है, ठीक वैसे जैसे किसी शेयर को ट्रेड किया जाता है।
यह किसी इंडेक्स (जैसे Nifty 50, Sensex आदि) को ट्रैक करता है
इसके अंतर्गत स्टॉक्स, बॉन्ड्स, कमोडिटी जैसी एसेट क्लास का समूह होता है
इसमें लिक्विडिटी अच्छी होती है, यानी आप इसे तुरंत कैश में बदल सकते हैं
ETF का इतिहास और भारत में शुरुआत
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वैश्विक स्तर पर 1990 के दशक में ETF की शुरुआत अमेरिका से हुई थी
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भारत में शुरुआत 2001 में हुआ, जब Nifty BeES को लॉन्च किया गया, जो कि Nifty 50 Index को ट्रैक करता है
Nifty BeES आज भी भारत के सबसे पॉपुलर ETFs में से एक है
ETF के फायदे क्या हैं?
लाभ | विवरण |
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ट्रेडेबल ETF को आप शेयर की तरह एक्सचेंज पर खरीद-बेच सकते हैं | |
कम लागत एक्टिव फंड्स की तुलना में ETF की मैनेजमेंट फीस कम होती है | |
डायवर्सिफिकेशन एक ETF में कई स्टॉक्स या बॉन्ड्स शामिल होते हैं | |
लॉन्ग टर्म ग्रोथ समय के साथ बेहतर रिटर्न की संभावना होती है |
ETF बनाम म्युचुअल फंड बनाम स्टॉक्स
फ़ीचर | ETF | Mutual Fund | Stocks |
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ट्रेडिंग | हां | नहीं | हां |
NAV अपडेट | रियल टाइम | दिन में एक बार | रियल टाइम |
मैनेजमेंट | पैसिव | एक्टिव/पैसिव | नहीं लागू |
रिस्क लेवल | मध्यम | कम से मध्यम | अधिक |
निवेश की रणनीति लॉन्ग टर्म का दृष्टिकोण जरूरी
चाहे आप ETF में निवेश करें, म्युचुअल फंड लें, SIP करें या स्टॉक्स खरीदें – लॉन्ग टर्म निवेश ही वेल्थ क्रिएशन की कुंजी है।
छोटे-छोटे नियमित निवेश और लंबे समय का दृष्टिकोण आपके पोर्टफोलियो को स्थिर और लाभकारी बना सकता है।
निवेश से पहले क्या करें?
अपने रिस्क प्रोफाइल को समझें
लॉन्ग टर्म गोल्स सेट करें
किसी भी निवेश से पहले फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें
निष्कर्ष
ETF एक बैलेंस्ड और स्मार्ट निवेश विकल्प है जो म्युचुअल फंड और स्टॉक के बीच की खाई को भरता है। अगर आप कम लागत, ज्यादा लिक्विडिटी, और डायवर्सिफिकेशन चाहते हैं, तो ETF को अपने पोर्टफोलियो में ज़रूर जगह दें – लेकिन लॉन्ग टर्म नजरिए के साथ।