IDFC First Bank के Board
IDFC First Bank ने एक बड़ा फैसला लेते हुए Warburg Pincus की सहयोगी कंपनी Currant Sea Investments BV को बोर्ड सीट देने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है।
19 मई की स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में बैंक ने यह जानकारी दी कि केवल 64.10% शेयरधारकों का समर्थन मिलने के कारण यह प्रस्ताव पास नहीं हो सका, जबकि पास होने के लिए 75% से अधिक वोट की आवश्यकता थी।
Institutional Investors ने किया विरोध, Retail Investors रहे समर्थन में
इस प्रस्ताव में दिलचस्प मोड़ यह रहा कि
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Retail (Non-institutional) Investors में से लगभग 99% ने प्रस्ताव का समर्थन किया।
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लेकिन Institutional Investors के 51% से अधिक ने इस प्रस्ताव का विरोध किया।
चूंकि Institutional Investors का कुल वोटिंग में हिस्सा 76% से अधिक था, इसलिए उनका विरोध निर्णायक साबित हुआ।
ध्यान देने योग्य तथ्य
इससे पहले 2018 में HDFC Ltd में ऐसा विरोध देखा गया था जब दीपक पारेख की दोबारा नियुक्ति के खिलाफ 22.64% वोट गए थे। लेकिन यह पहली बार है जब किसी प्राइवेट सेक्टर बैंक में इस तरह का प्रतिरोध सामने आया है।
AoA में बदलाव का प्रस्ताव भी हुआ खारिज
IDFC First Bank ने अपने Articles of Association (AoA) में संशोधन कर Warburg Pincus को बोर्ड सदस्य नियुक्त करने का अधिकार देने की कोशिश की थी। यह एक Special Resolution था, लेकिन इसे भी Institutional Investors का समर्थन नहीं मिला।
अन्य प्रस्तावों को मिला भारी समर्थन
बैंक द्वारा रखे गए अन्य प्रस्तावों को ज़बरदस्त समर्थन प्राप्त हुआ:
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Authorized Share Capital Reclassification और MoA में संशोधन के प्रस्ताव को 99.61% वोटिंग समर्थन मिला।
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₹7,500 करोड़ के Compulsorily Convertible Cumulative Preference Shares (CCCPS) को Preferential Basis पर जारी करने के प्रस्ताव को 99.18% समर्थन मिला।
निष्कर्ष बोर्ड में एंट्री आसान नहीं
यह मामला स्पष्ट करता है कि भले ही Warburg Pincus जैसे प्रतिष्ठित निवेशक को रिटेल निवेशकों का पूरा समर्थन प्राप्त हो, Institutional Investors की भूमिका अब और अधिक निर्णायक होती जा रही है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम भविष्य में विदेशी निवेशकों की रणनीति और भारत में बोर्ड एंट्री पर प्रभाव डाल सकता है।