डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया सबसे कमजोर स्तर पर
31 जुलाई 2025 को भारतीय रुपया 28 पैसे की गिरावट के साथ 87.71 पर खुला, जो पिछले 5 महीनों का सबसे निचला स्तर है। यह लगातार पाँचवां दिन था जब रुपये में गिरावट दर्ज की गई।
ट्रंप की टैरिफ घोषणा बना गिरावट का मुख्य कारण
30 जुलाई को, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump ने भारतीय वस्तुओं पर 25% का टैरिफ लगाने की घोषणा की। साथ ही, रूसी तेल और हथियारों की खरीद पर अतिरिक्त Penalty लगाने का संकेत दिया गया।
इस घोषणा का सीधा असर भारतीय मुद्रा और बाजार के Sentiment पर पड़ा।
ट्रंप का बयान भारत ‘मित्र’ लेकिन व्यापार कठिन
ट्रंप ने अपने Truth Social पोस्ट में लिखा
“भारत हमारा मित्र है, लेकिन उनके टैरिफ दुनिया में सबसे अधिक हैं। भारत में सबसे कठोर और अप्रिय non-monetary trade barriers हैं।”
इसके अलावा, उन्होंने India और China दोनों को Russia के साथ व्यापार जारी रखने के लिए निशाने पर लिया, जबकि पश्चिमी देश Russia-Ukraine युद्ध रोकना चाहते हैं।
विश्लेषकों की राय उम्मीद से सख्त कदम
IFA Global के फाउंडर और CEO Abhishek Goenka ने कहा
“नई टैरिफ व्यवस्था बाज़ार की अपेक्षाओं से अधिक कठोर है। उम्मीद थी कि दरें 20% से कम होंगी, जिससे भारत की प्रतिस्पर्धा Asia-Pacific में बनी रहे।”
उन्होंने यह भी जोड़ा
“भारत कभी एक favorable trade agreement के लिए संभावित उम्मीदवार था, लेकिन अब वह संभावना लगभग खत्म हो गई है।”
रुपये की स्थिति एशिया में सबसे कमजोर
Bloomberg के आंकड़ों के अनुसार
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पिछले 2 हफ्तों में 0.83% की गिरावट
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पिछले 1 साल में 3.25% की गिरावट
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Asia की सबसे कमजोर करंसी बन गया है भारतीय रुपया
इस सप्ताह का संभावित ट्रेडिंग रेंज
HDFC Securities के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट Dilip Parmar ने अनुमान जताया कि:
“इस सप्ताह रुपये का ट्रेडिंग रेंज 86.50 से 87.90 के बीच रह सकता है।”
निष्कर्ष निवेशकों को रखनी होगी कूटनीतिक रणनीति पर नजर
रुपये में गिरावट का मुख्य कारण Donald Trump की टैरिफ और Penalty से जुड़ी घोषणा है। इससे भारत की विदेश नीति, व्यापारिक रिश्ते और आर्थिक स्थिरता पर असर पड़ सकता है।