Rare Earth Magnets

 Rare Earth Magnets की कमी Electronics और Auto Sector पर बड़ा खतरा

Rare Earth Magnets की कमी 

Rare Earth Magnets की कमी अब केवल ऑटोमोबाइल सेक्टर तक सीमित नहीं रही — इसका असर अब इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री पर भी दिखने लगा है।

Speakers, Headphones, Earbuds, Home Theatres और Smart TVs जैसे उत्पादों में इन मैग्नेट्स का उपयोग अनिवार्य है। ऐसे में उनकी कीमतों में बढ़ोतरी तय मानी जा रही है।

 चीन से निर्यात पर संभावित रोक पूरी इंडस्ट्री में हड़कंप

चीन ने Rare Earth Magnet के निर्यात पर संभावित प्रतिबंध के संकेत दिए हैं।
भारत में 95% Rare Earth Magnet का आयात चीन से होता है। इस स्थिति में दो बड़े खतरे हैं:

  • दूसरे देशों से आयात महंगा साबित होगा

  • इलेक्ट्रॉनिक्स और EV सेक्टर में सप्लाई चेन बाधित हो सकती है

इससे उपकरणों की Built-in Material Cost में 5–7% तक की बढ़ोतरी हो सकती है, जिसका सीधा असर कीमतों पर पड़ेगा।

ऑटो सेक्टर पर तात्कालिक प्रभाव

ऑटो कंपनियों ने पहले ही उत्पादन को धीमा या टालना शुरू कर दिया है, क्योंकि उनके पास सिर्फ जुलाई तक की ही मैग्नेट सप्लाई बची है
यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री भी इसकी चपेट में आ सकती है।

भारत की तैयारी नई Incentive Scheme जल्द

Rare Earth Magnets

भारत सरकार Rare Earth Magnet के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए लगभग ₹5,000 करोड़ की Production-Linked Incentive (PLI) Scheme लाने की योजना बना रही है।

  • यह स्कीम 3 वर्षों तक चलेगी

  • Reverse Auction Model के तहत कंपनियों को इंसेंटिव दिए जाएंगे

  • स्कीम को 2 सप्ताह में मंजूरी मिलने की संभावना है

सरकार का उद्देश्य है कि भारत जल्द ही आत्मनिर्भर बन सके।

 वैकल्पिक स्रोतों की तलाश और तकनीकी सहयोग की ज़रूरत

भारत के पास 6.9 मिलियन टन Rare Earth Minerals का भंडार है, लेकिन उन्हें निकालने और प्रोसेस करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक और निवेश की ज़रूरत है।

विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को:

  • अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ Technology Partnerships करनी चाहिए

  • Mining Efficiency पर ध्यान देना चाहिए

  • क्लस्टर-आधारित उत्पादन मॉडल विकसित करना चाहिए

 निष्कर्ष

Rare Earth Magnets की कमी से भारत को सप्लाई चेन में बड़ा झटका लग सकता है, खासकर तब जब इलेक्ट्रॉनिक्स और EV सेक्टर अपने उभार पर हैं।
हालांकि सरकार की Incentive Scheme और घरेलू उत्पादन की योजना भविष्य के लिए उम्मीद जगाती है।

 यदि आप निवेशक, मैन्युफैक्चरर या नीति-निर्माता हैं — तो यह वक्त है रणनीतिक फैसले लेने का।

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