चीन पर अमेरिका की निर्भरता

चीन पर अमेरिका की निर्भरता टेक और डिफेंस सेक्टर के लिए बढ़ता संकट

चीन पर अमेरिका की निर्भरता  

अमेरिका की प्रमुख टेक्नोलॉजी और डिफेंस कंपनियों की उत्पादन प्रक्रिया उन दुर्लभ खनिजों पर निर्भर करती है जिनकी सबसे बड़ी आपूर्ति चीन करता है। Nvidia, Apple, Microsoft, Tesla जैसी कंपनियों के साथ-साथ Lockheed Martin जैसी रक्षा कंपनियां भी इन्हीं मिनरल्स पर आश्रित हैं। इन तत्वों का उपयोग मोबाइल फोन, कंप्यूटर, मेडिकल उपकरण, इलेक्ट्रिक वाहनों और मिसाइल निर्माण में होता है।

AI और टेक्नोलॉजी सेक्टर पर भी मंडरा रहा खतरा

चीन पर अमेरिका की निर्भरता

दुर्लभ मिनरल्स की उपलब्धता बाधित होने से सिर्फ उत्पादन नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की प्रगति पर भी असर पड़ सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ खुलकर मोलभाव नहीं किया क्योंकि वे इस तकनीकी निर्भरता से पूरी तरह वाकिफ थे।

चीन की पकड़ Rare Earth Elements का वैश्विक नियंत्रण

चीन दुनिया के कुल 17 Rare Earth Elements में से 61% का उत्पादन करता है और इनकी 92% प्रोसेसिंग उसकी ही फेसेलिटीज़ में होती है। बिना प्रोसेसिंग ये खनिज उपयोग लायक नहीं माने जाते। अप्रैल की शुरुआत में चीन ने अमेरिका को 7 प्रमुख दुर्लभ खनिजों की सप्लाई रोक दी, जो कि ट्रंप की टैरिफ नीति के जवाब में लिया गया एक सख्त कदम था।

अमेरिकी इकोनॉमी पर पड़ रहा है गहरा असर

सप्लाई बाधित होने से अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को गंभीर नुकसान झेलना पड़ रहा है। ऐसा अनुमान है कि यह नुकसान चीन के 125% टैरिफ से भी ज्यादा भारी पड़ सकता है। इससे न सिर्फ उत्पादन बाधित हो रहा है, बल्कि कीमतें भी अस्थिर हो रही हैं।

चीन पर अमेरिका की निर्भरता

राष्ट्रपति ट्रंप की चिंता और वैकल्पिक रणनीति

15 अप्रैल को राष्ट्रपति ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश जारी करते हुए कहा था कि मिनरल सप्लाई में रुकावट राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और डिफेंस तैयारियों के लिए खतरा है। इसके बाद अमेरिका ने वैकल्पिक स्रोतों की तलाश शुरू की है।

  • यूक्रेन पर दबाव डालते हुए आर्थिक सहायता का प्रस्ताव

  • ग्रीनलैंड में निवेश की संभावनाएं

  • भारत से समझौता, जो दुनिया का छठा सबसे बड़ा मिनरल भंडार रखता है

टैरिफ नीति कितनी टिकाऊ?

ट्रंप द्वारा लगाए गए 145% टैरिफ का असर खुद अमेरिका की इकोनॉमी पर पड़ने लगा है। कंज़्यूमर गुड्स और डिफेंस इक्विपमेंट से जुड़ी कंपनियां ट्रंप पर चीन से समझौते का दबाव बना रही हैं। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो इन कंपनियों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा सकता है।

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