अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर में कटौती ट्रंप की वापसी और संभावित आर्थिक प्रभाव

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर में कटौती और ट्रंप की वापसी

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने हाल ही में ब्याज दर में 0.25% की कटौती की है, जिससे अमेरिका में नई ब्याज दर अब 4.50% हो गई है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रपति बने हैं। फेड ने यह कदम अमेरिकी रोजगार बाजार में धीमापन और महंगाई दर में हल्की वृद्धि को देखते हुए उठाया है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर में कटौती

अमेरिकी फेड का निर्णय और इसका कारण

  • नई ब्याज दर 4.50%
  • पहले की दर 4.75%
  • सितंबर में भी हुई थी कटौती फेड ने सितंबर में भी ब्याज दर में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की थी।
  • महंगाई दर का लक्ष्य 2% के करीब है, और धीरे-धीरे इस लक्ष्य की ओर बढ़ रही है।
  • रोजगार बाजार बेरोजगारी दर निम्न स्तर पर बनी हुई है, परंतु नौकरी के अवसरों में कुछ कमी दर्ज की गई है।

डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और संभावित आर्थिक असर

डोनाल्ड ट्रंप की वापसी और संभावित आर्थिक असर

चार साल बाद डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद पर लौटने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कई बदलावों की संभावना है। उन्होंने अपने चुनाव अभियान में टैक्स कटौती, अवैध आप्रवासन पर सख्ती, और टैरिफ बढ़ाने पर जोर दिया था।

  • टैक्स कटौती और आर्थिक प्रभाव अगर ट्रंप टैक्स में कटौती करते हैं, तो उपभोक्ता खर्च बढ़ सकता है, लेकिन इससे महंगाई पर दबाव बन सकता है।
  • आप्रवासन पर सख्ती यदि आप्रवासन नियमों में कड़े बदलाव होते हैं, तो इसका श्रम बाजार पर असर पड़ सकता है।
  • टैरिफ बढ़ाना ट्रेड टैरिफ बढ़ाने से आयातित वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जो महंगाई को और बढ़ा सकती हैं।

 

फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि फेड इस समय किसी भी संभावित आर्थिक प्रभाव का आकलन करने की प्रक्रिया में है।

भविष्य में ब्याज दर में और कटौती की संभावना

फेडरल रिजर्व के नीति-निर्माता निकट भविष्य में ब्याज दरों में और कटौती के संकेत दे रहे हैं।

  • 2025 संभावित रूप से 1% तक की और कटौती की जा सकती है।
  • 2026 तक ब्याज दरों में 0.5% तक की और कमी होने का अनुमान है।

निष्कर्ष

फेडरल रिजर्व का यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वृद्धि बनाए रखने के लिए है, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के कारण भविष्य में कई अनिश्चितताएं बनी रहेंगी। फेड का ध्यान अब महंगाई और रोजगार के बीच संतुलन बनाए रखने पर होगा।

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