अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो 7 अगस्त से प्रभावी होगा। लेकिन यह टैरिफ केवल भारत को ही नहीं, बल्कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था और खासतौर से वहां के मिडिल क्लास परिवारों पर भी असर डालने वाला है।
टैरिफ नीति किसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी?
- विशेषज्ञों की मानें तो यह टैरिफ भारत की तुलना में अमेरिका को ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है।
- एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ का सीधा असर अमेरिकी आयातक कंपनियों और उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
- मुद्रास्फीति (Inflation) और डॉलर में कमजोरी पहले से ही अमेरिकी बाजार को दबाव में ला रही है।

रूसी कच्चे तेल और रक्षा खरीद पर भी असर
- ये टैरिफ रूसी क्रूड ऑयल और सैन्य उपकरणों की खरीद पर भी दंड स्वरूप प्रभाव डालेंगे।
- इससे अमेरिका की रणनीतिक आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ सकता है।
अमेरिका में महंगाई बनी रहेगी
- अमेरिका पहले ही महंगाई के दबावों से जूझ रहा है, और यह टैरिफ उसे और बढ़ाएंगे।
- अनुमान है कि 2026 तक अमेरिकी मुद्रास्फीति 2% के लक्ष्य से ऊपर बनी रहेगी।
- महंगाई का सबसे ज्यादा बोझ अमेरिकी मिडिल क्लास फैमिलीज़ को उठाना पड़ेगा।
भारतीय फार्मा कंपनियों पर टैरिफ का असर
- यदि टैरिफ लंबे समय तक लागू रहते हैं, तो भारतीय फार्मा कंपनियों की कमाई 2% से 8% तक घट सकती है।
- भारत की बड़ी दवा कंपनियां अपना 40%–50% राजस्व अमेरिकी बाजार से प्राप्त करती हैं।
- FY2013 में इंडियन फार्मा का अमेरिकी निर्यात 11 बिलियन डॉलर था, जो FY2025 तक 43 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
निष्कर्ष
ट्रंप की यह टैरिफ नीति भले ही भारत पर आर्थिक दबाव बनाने के लिए लागू की जा रही हो, लेकिन इसका गहरा और स्थायी असर अमेरिका की खुद की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा।
विशेष रूप से मिडिल क्लास उपभोक्ता, जो सस्ती दवाओं और प्रोडक्ट्स पर निर्भर हैं, इस टैरिफ की सबसे बड़ी कीमत चुकाएंगे।
भारत को रणनीतिक दृष्टि से इस स्थिति को अवसर में बदलने की योजना बनानी होगी।